Why Israel-Palestine Conflict, इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष क्यों
Why Israel-Palestine Conflict इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष क्यों:-
Current Scenario वर्तमान परिदृश्य:
हाल ही में अमेरिका द्वारा मध्य पूर्व शांति योजना (Middle East Peace Plan) की घोषणा की गई थी। अमेरिका द्वारा घोषित इस इस योजना का मुख्य उद्देश्य इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे- इज़राइल की सीमा, फिलिस्तीनी शरणार्थियों की स्थिति, सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, मुस्लिमों पर अत्याचार रोकना और येरुशलम आदि को संबोधित कर क्षेत्र विशेष में शांति स्थापित करना है। जहाँ एक ओर इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस शांति योजना को ‘स्थायी शांति का यथार्थवादी मार्ग बताया है, वहीं फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इसे ‘साजिश’ करार देते हुए इसका विरोध किया है और इसके जवाब में फिलिस्तीन ने स्वयं को ओस्लो समझौते से अलग कर लिया है। इसको विस्तार से समझने के लिए हमको कुछ मुद्दों को समझना होगा
Recently, the Middle East Peace Plan was announced by the US. The main objective of this plan announced by the US is to establish peace in the region by addressing various issues related to the Israel-Palestine conflict - Israel's border, the status of Palestinian refugees, security concerns, Stop atrocities on Muslims and Jerusalem. While Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu has described this peace plan as a 'realistic path to lasting peace, Palestinian President Mahmoud Abbas has opposed it, calling it a' conspiracy ', and in response to this, Palestine has called itself the Oslo Agreement Is separated from. To understand this in detail, we have to understand some issues.
1 अमेरिका की मध्य पूर्व शांति योजना क्या है।
2 ओस्लो समझौता क्या है।
3 इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष क्यों हो रहा है।
4 दोनों देशों के बीच विवाद के कारण क्या है।
1 What is America's Middle East Peace Plan.
2 What is the Oslo Agreement.
3 Why the Israel-Palestine conflict is happening.
4 What is the reason for the dispute between the two countries.
अमेरिका की मध्य पूर्व शांति योजना
- येरुशलम पर इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों ही अपना-अपना दावा प्रस्तुत करते हैं और दोनों ही उसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं। अमेरिका की शांति योजना के अनुसार, येरुशलम को विभाजित नहीं किया जाएगा और यह ‘इज़राइल की संप्रभु राजधानी’ होगी।
- शांति योजना के अनुसार, फिलिस्तीन येरुशलम के पूर्व में अपनी राजधानी स्थापित करेगा, जिसका नाम बदलकर ‘अल कुद्स’ (Al Quds) रखा जा सकता है, जो कि येरुशलम का अरबी अनुवाद है।
- योजना के मुताबिक, ‘येरुशलम की पवित्र धरती उसी मौजूदा शासन व्यवस्था (यानी इज़राइल) के अधीन होगी’ और ‘इसे सभी धर्मों के शांतिपूर्ण उपासकों एवं पर्यटकों के लिये खुला रखा जाएगा’।
- फिलीस्तीनी क्षेत्र के अंदर स्थित इज़राइली इलाके इज़राइल राज्य का हिस्सा बन जाएंगे और एक प्रभावी परिवहन प्रणाली के माध्यम से उन्हें इज़राइल से जोड़ा जाएगा। वेस्ट बैंक में अवैध इज़राइली बस्तियों को कानूनी और स्थायी बनाने का विचार फिलीस्तीनी सरकार के लिये एक चिंता का विषय है।
- शांति योजना के अनुसार, जॉर्डन घाटी जो कि इज़राइल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, इज़राइल की संप्रभुता के तहत बनी रहेगी।
- यदि फिलीस्तीन इस योजना को स्वीकार करता है तो अमेरिका वहाँ आगामी 10 वर्षों में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा, जिसे वहाँ के निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हो सकेगा, इससे फिलीस्तीन के नागरिकों के जीवन स्तर की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
- अमेरिका द्वारा प्रस्तुत शांति योजना प्रथम दृष्टया इज़राइल के पक्ष में झुकी हुई दिखाई देती है, जिसके कारण फिलीस्तीन ने इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया है।
America's Middle East Peace Plan
- Both Israel and Palestine present their claim to Jerusalem and both are not willing to give up. According to the US peace plan, Jerusalem will not be divided and will be the 'sovereign capital of Israel'.
- According to the peace plan, Palestine will establish its capital east of Jerusalem, which can be renamed 'Al Quds', an Arabic translation of Jerusalem.
- According to the plan, 'the holy earth of Jerusalem will be subject to the same existing governance system (ie Israel)' and 'it will be kept open to peaceful worshipers and tourists of all religions.
- Israeli territories located inside the Palestinian Territory will become part of the State of Israel and will be connected to Israel through an effective transportation system. The idea of making illegal Israeli settlements legal and permanent in the West Bank is a concern for the Palestinian government.
- According to the peace plan, the Jordan Valley, which is very important for Israel's national security, will remain under Israel's sovereignty.
- If the Palestinians accept this plan, then the US will invest $ 50 billion in the next 10 years, which will lead to the development of the private sector and improve the education and health sector, thereby improving the standard of living of the citizens of Palestine. Quality will also improve.
- The peace plan presented by the US seems prima facie tilted in favor of Israel, due to which the Palestinians have refused to support it.
Israel-Palestine Conflict Background
The history of the conflict between Israel and Palestine is almost 100 years old, beginning in the year 1917 when the then British Foreign Secretary Arthur James Balfour, under the 'Balfour Declaration', a Jewish 'national house' (in Palestine) Expressed the UK's official support for the construction of the National Home).
Britain failed to end the conflict between Arabs and Jews, in 1948 Britain withdrew its security forces from Palestine and presented the issue to the United Nations (UN) for consideration to resolve the claims of Arabs and Jews.
The United Nations presented a Partition Plan to establish independent Jewish and Arab states in Palestine, which was accepted by most Jews living in Palestine, but the Arabs did not agree to it.
In 1948, the Jews declared independent Israel, and Israel became a country, resulting in the invasion of nearby Arab states (Egypt, Jordan, Iraq, and Syria). At the end of the war, Israel established its control over the land more than it had received as ordered by the United Nations partition plan.
The conflict between the two countries then intensified, and the famous Six-Day War took place in 1967, with the Israeli army also taking control of the Golan Heights, the West Bank, and East Jerusalem.
In 1987, a violent organization called 'Hamas' was formed in Palestine to demand Muslim brotherhood. It was formed to expand the Muslim religion to each part of Palestine through violent jihad.
Over time tensions prevailed in the occupied territories of the West Bank and the Gaza Strip resulting in the First Intifida or Palestine Rebellion in 1987, which turned into a small war between Palestinian troops and the Israeli army.
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष की पृष्ठभूमि
- इज़राइल और फिलिस्तीन के मध्य संघर्ष का इतिहास लगभग 100 वर्ष पुराना है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1917 में उस समय हुई जब तत्कालीन ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बल्फौर ने ‘बल्फौर घोषणा’ (Balfour Declaration) के तहत फिलिस्तीन में एक यहूदी ‘राष्ट्रीय घर’ (National Home) के निर्माण के लिये ब्रिटेन का आधिकारिक समर्थन व्यक्त किया।
- अरब और यहूदियों के बीच संघर्ष को समाप्त करने में असफल रहे ब्रिटेन ने वर्ष 1948 में फिलिस्तीन से अपने सुरक्षा बलों को हटा लिया और अरब तथा यहूदियों के दावों का समाधान करने के लिये इस मुद्दे को नवनिर्मित संगठन संयुक्त राष्ट्र (UN) के विचारार्थ प्रस्तुत किया।
- संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन में स्वतंत्र यहूदी और अरब राज्यों की स्थापना करने के लिये एक विभाजन योजना (Partition Plan) प्रस्तुत की जिसे फिलिस्तीन में रह रहे अधिकांश यहूदियों ने स्वीकार कर लिया किंतु अरबों ने इस पर अपनी सहमति प्रकट नहीं की।
- वर्ष 1948 में यहूदियों ने स्वतंत्र इज़राइल की घोषणा कर दी और इज़राइल एक देश बन गया, इसके परिणामस्वरूप आस-पास के अरब राज्यों (इजिप्ट, जॉर्डन, इराक और सीरिया) ने इज़राइल पर आक्रमण कर दिया। युद्ध के अंत में इज़राइल ने संयुक्त राष्ट्र की विभाजन योजना के आदेशानुसार प्राप्त भूमि से भी अधिक भूमि पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- इसके पश्चात् दोनों देशों के मध्य संघर्ष तेज़ होने लगा और वर्ष 1967 में प्रसिद्ध ‘सिक्स डे वॉर’ (Six-Day War) हुआ, जिसमें इज़राइली सेना ने गोलन हाइट्स, वेस्ट बैंक तथा पूर्वी येरुशलम को भी अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया।
- वर्ष 1987 में मुस्लिम भाईचारे की मांग हेतु फिलिस्तीन में ‘हमास’ नाम से एक हिंसक संगठन का गठन किया गया। इसका गठन हिंसक जिहाद के माध्यम से फिलिस्तीन के प्रत्येक भाग पर मुस्लिम धर्म का विस्तार करने के उद्देश्य से किया गया था।
- समय के साथ वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के अधिगृहीत क्षेत्रों में तनाव व्याप्त हो गया जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1987 में प्रथम इंतिफादा (Intifida) अथवा फिलिस्तीन विद्रोह हुआ, जो कि फिलिस्तीनी सैनिकों और इज़राइली सेना के मध्य एक छोटे युद्ध में परिवर्तित हो गया।
Dispute between the two countries
दोनों देशों के बीच विवाद
- वेस्ट बैंक
वेस्ट बैंक इज़राइल और जॉर्डन के मध्य अवस्थित है। इसका एक सबसे बड़ा शहर ‘रामल्लाह’ (Ramallah) है, जो कि फिलिस्तीन की वास्तविक प्रशासनिक राजधानी है। इज़राइल ने वर्ष 1967 के युद्ध में इस पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। - गाजा पट्टी
गाजा पट्टी इज़राइल और मिस्र के मध्य स्थित है। इज़राइल ने वर्ष 1967 में गाजा पट्टी का अधिग्रहण किया था, किंतु गाजा शहर के अधिकांश क्षेत्रों के नियंत्रण तथा इनके प्रतिदिन के प्रशासन पर नियंत्रण का निर्णय ओस्लो समझौते के दौरान किया गया था। वर्ष 2005 में इज़राइल ने इस क्षेत्र से यहूदी बस्तियों को हटा दिया यद्यपि वह अभी भी इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पहुँच को नियंत्रित करता है। - गोलन हाइट्स
गोलन हाइट्स एक सामरिक पठार है जिसे इज़राइल ने वर्ष 1967 के युद्ध में सीरिया से छीन लिया था। ज्ञात हो कि हाल ही में अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर येरुशलम और गोलान हाइट्स को इज़राइल का एक हिस्सा माना है।
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