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सूरदास (जीवन परिचय)

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भूमिका भक्ति कालीन कवियों में सूरदास, कबीरदास और तुलसीदास का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। इनमें सूरदास कृष्ण भक्ति शाखा के श्रेष्ठ कवि हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा हिंदी साहित्य को एक दिशा प्रदान की। इनकी रचनाएँ ब्रज भाषा में है। यद्यपि इनके विषय में कहा जाता है कि सूरदास जन्मांध थे। किंतु इनकी रचनाओं से यह विश्वास नहीं होता कि वे जन्म से अंधे रहे होंगे। संयोग-वियोग का चित्रण, बाल लीला का वर्णन जिस प्रकार से उनकी रचनाओं में मिलता है। इससे यह संदेह होता है कि कोई अलौकिक दृष्टि ही उतनी गहराई से देख सकती है। यह तो किसी अलौकिक दृष्टि का ही योगदान है। व्यक्तित्व सूरदास के जन्म के विषय में भी कोई स्पष्ट मत नहीं है। कुछ लोगों का मत है कि सूरदास का जन्म फरीदाबाद (हरियाणा) के निकट सीही नामक गाँव में संवत 1478 में हुआ था। कुछ विद्वानों के अनुसार सूरदास का जन्म आगरा और मथुरा के बीच स्थित रुनकता नामक गाँव में हुआ था। जो भी हो, सूरदास का जन्म कहीं भी हुआ हो, किंतु सूरदास का अस्तित्व निर्विवाद है। (surdas par nibandh) सूरदास श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। वे किशोरावस्था में मथुर...