Jerusalem - city settled on disputed past
Jerusalem is the center of faith for Jews, Muslims and Christians alike. Here the Holy Sepulkar Church for Christians, the Holy Mosque of Muslims and the Holy Wall of the Jews are situated.
Holy Church
Jerusalem has the Holy Sepulcher Church, which is a special place for Christians around the world. Christians believe that Jesus was crucified here and this is also the place where Jesus resurrected. It is the main pilgrimage center for millions of Christians around the world, who visit the empty tomb of Christ. This church is jointly managed by different denominations of Christians.
Holy mosque
In Jerusalem itself, there is the sacred domed 'Dome of Rock' i.e. Kuwvatul Sakharah and Al-Aqsa Mosque. It is situated on a plateau which Muslims call 'Haram Al Sharif' or holy place. This mosque is the third holiest place of Islam, it is overseen and administered by an Islamic trust, also known as Waqf. Muslims believe that the Prophet came here from Mecca in his journey and he prayed spiritually to all the prophets. A cornerstone has been laid just a short distance from Kuwvatul Sakharah, about which Muslims believe that Mohammed had gone to heaven from here.
Holy wall
The Kotel or part of the Western Wall of Jerusalem is considered to be Jewish-majority because it once housed their sacred temple and this wall is the remaining sign of that. The holiest place of the Jews is the 'Holy of Holies' inside the temple here. The Jews believe that it was here that the foundation of the rock was built on which the world was built and where Abraham sacrificed his son Isaac. The Western Wall is the closest place to the 'Holy of Holies' from which Jews can pray. It is managed by the Rabbis of the Western Wall.
येरुशलम- विवादित अतीत पर बसा शहर
येरुशलम यहूदियों, मुस्लिमों और ईसाइयों की समान आस्था का केंद्र है। यहाँ ईसाईयों के लिये पवित्र सेपुलकर चर्च, मुस्लिमों की पवित्र मस्जिद और यहूदियों की पवित्र दीवार पवित्र दीवार स्थित है।
होली चर्च
येरुशलम में पवित्र सेपुलकर है, जो दुनिया भर के ईसाइयों के लिये विशिष्ट स्थान है। ईसाई मतावलंबी मानते हैं कि ईसा मसीह को यहीं सूली पर लटकाया गया था और यही वह स्थान भी है जहाँ ईसा फिर जीवित हुए थे। यह दुनिया भर के लाखों ईसाइयों का मुख्य तीर्थस्थल है, जो ईसा के खाली मकबरे की यात्रा करते हैं। इस चर्च का प्रबंध संयुक्त तौर पर ईसाइयों के अलग-अलग संप्रदाय करते हैं।
पवित्र मस्जिद
येरुशलम में ही पवित्र गुंबदाकार 'डोम ऑफ रॉक' यानी कुव्वतुल सखरह और अल-अक्सा मस्जिद है। यह एक पठार पर स्थित है जिसे मुस्लिम 'हरम अल शरीफ' या पवित्र स्थान कहते हैं। यह मस्जिद इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह है, इसकी देखरेख और प्रशासन का ज़िम्मा एक इस्लामिक ट्रस्ट करता है, जिसे वक्फ भी कहा जाता है। मुसलमान मानते हैं कि पैगंबर अपनी यात्रा में मक्का से यहीं आए थे और उन्होंने आत्मिक तौर पर सभी पैगंबरों से दुआ की थी। कुव्वतुल सखरह से कुछ ही दूरी पर एक आधारशिला रखी गई है जिसके बारे में मुसलमान मानते हैं कि मोहम्मद यहीं से स्वर्ग की ओर गए थे।
पवित्र दीवार
येरुशलम का कोटेल या पश्चिमी दीवार का हिस्सा यहूदी बहुल माना जाता है क्योंकि यहाँ कभी उनका पवित्र मंदिर था और यह दीवार उसी की बची हुई निशानी है। यहाँ मंदिर के अंदर यहूदियों की सबसे पवित्रतम जगह 'होली ऑफ होलीज़' है। यहूदी मानते हैं यहीं पर सबसे पहले उस शिला की नींव रखी गई थी, जिस पर दुनिया का निर्माण हुआ और जहाँ अब्राहम ने अपने बेटे इसाक की कुरबानी दी थी। पश्चिमी दीवार, 'होली ऑफ होलीज़' की वह सबसे करीबी जगह है, जहाँ से यहूदी प्रार्थना कर सकते हैं। इसका प्रबंध पश्चिमी दीवार के रब्बी करते हैं।
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